Aadat pad gayi hai.
Story by- jai chaurasiya
इस समय अक्सर जब मैं अपना काम खत्म करके रात को बिस्तर में जाता हु, तो अचानक से बहुत से ख्याल दिमाग में आ जाते है, और मैं एक अजीब सी उधेड़बुन में फंस जाता हु, और चाहकर भी कई घंटों तक सो नहीं पता हूं ख्याल सोने नहीं देते।
जिंदगी के सवालों में मेरा मन उलझ जाता है,
और इसी उलझन में सारी रात नींद नहीं आती
मन में हजारों सवाल उठते है
ये सवाल खुद से है कि
जिंदगी हमे जहां ले जा रही है, क्या सच में मुझे वह जाना था।
ये सब जो हो रहा है मेरे जीवन में
शायद मैने तो ऐसा नहीं सोचा था
फिर भी मैं बहाव में बहता जा रहा हूं
क्या मेरा कोई सपना नहीं था
था तो मैं क्यों कोशिश नहीं कर रहा हूं।
सच तो है कि खुश नहीं हूं मैं, ये बेचैनी बताती है कि शायद मैं सही जगह पर नहीं हूं मुझे कही और होना था ऐसा महसूस होता है। एक अजीब उलझन रहती है कि क्या मुझे जो होना था उसके लिए मैने पूरी कोशिश की थी या कमी है प्रयास में और ऐसे ही उधेड़बुन में लगा रहता है मन मेरा।
मन में हजारों विचार आते है..
अपने अंदर हे जंग चल रही होती है
क्या ये सब कभी बदलेगा
या जिंदगी यूं ही चलती रहेगी
बस दिल और दिमाग की इस कश्मकश में
नींद कब आ जाती है पता ही नहीं चलता।
और सुबह... फिर वही नया मैं..
उठो झूठी मुस्कुराहट चेहरे पे सजाओ
और फिर जिंदगी की भागदौड़ में शामिल हो जाओ।
आजकल कुछ ऐसी हे गुजर रही है जिंदगी..!
कभी कभी लगता है....
शायद आदत पड़ गई है..
उलझनों में रहने की ...
उदास रहने की...
बेवजह मुस्कुराने की...
अपनी इक्ष्याए दबाने की..
मन मारने की...
समझौता करने की...
और जो नहीं करना चाहते वो करने की आदत।
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