जो तुम न मिलती।
Story by- jai chaurasiya
कभी कभी मैं सोचता हु
तुम जो न मिली होती
तो क्या होता...???
नहीं समझ पाता मै प्रेम का
अर्थ सही मायनों में...!!
ना ही जान पाता मैं स्वयं को
इतने सलीके से...!!
नहीं लिख पाता मै पन्ने भर भर
कर प्रेम पर, तुम न मिलती तो
न समझ पाता, न जान पाता
न कह पाता इस प्रेम को..!!
मुझे लगता है मै जो हूं
तुम्हारे प्रेम का ही असर है
शायद तुमने मुझे बदल दिया।
तुमसे मिलने से पहले
मुझे धैर्य का एक काम न आया -
मैंने कभी अच्छी चाय नहीं बनाई
न ही मेरी मैगी में कभी स्वाद आया....
मैने कभी धीमी गति से गाड़ी नहीं चलाई
मुझसे कभी नहीं हुआ कि मैं सब्जी चुनूं...
फर्क कर पाऊं अच्छी और खराब भिंडी में।
तुमसे मिलने के बाद ही...
मैने सब्र करना सीखा क्योंकि...
प्रेम में धीरज का होना ज़रूरी है...!
मैंने इंतजार करना सीखा
कैसे किसी का घंटों इंतेज़ार करना भी
सुखद अनुभव हो सकता है..!!
तुमसे सीखा की दूसरे का खुश रहना
कैसे हमे खुशी देता है...!!
मैने ख्याल रखना सिखा
कैसे प्रेम हमे बदल देता है..!!
अगर तुम न मिली होती तो..
शायद मैं ये भी नहीं लिखता..
मेरी लिखावट ही तुमसे है..
प्रेम और विरह दोनों ही तुमसे है...
लेकिन फिर सोचता हूं
तुम अभी न मिलती तो
कभी तो मिलती...!!
😍
ReplyDeleteMujhe bhi usne badal diya fir khud badal gayi
ReplyDeletePyar me intezar to a he jata hai
ReplyDeleteSubah ka bolkar sham ko aata th
ReplyDeleteAsifa "agar wo nahi milati to sayad kuchh behatar he hota"
ReplyDeletePyaar hame badal deta hai
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