खोता हुआ मैं।
Story by- jai chaurasiya
धीरे धीरे वो इंसान बनता जा रहा हूँ...
जो मैं कभी बनना ही नहीं चाहता था।
"खोता हुआ मैं"
मैं धीरे धीरे वो इंसान बनता जा रहा हूँ,
जो शायद मैं कभी बनना ही नहीं चाहता था।
आज मैं आईना देखता हूं और खुद से ही नज़र चुराता हूं,
खुद की परछाई को पहचान नहीं पता हूं।
पहले सपनो के पीछे भागने वाला मैं,
आज हकीकत से भागता जा रहा हूँ।
कभी जो सवाल मुझे जागते थे,
अब उनपर खामोश होता जा रहा हूँ।
पहले जज्बातों से भरा दिल मेरा
अब कठोर होता जा रहा हूं।
पहले खुश था, इसलिए हस्ता था
अब हंसी भी बनावटी हैँ।
पहले मेरे दोस्त हुआ करते थे
अब मैं खुद दोस्ती के लायक नहीं
जो दोस्ती मे जान देने को तैयार रहता था
वो केवल नाम की दोस्ती बची हैँ।
मैं जो पहले गलत को गलत और
सही को सही कहने की ताकत रखता था
आज कुछ लोगो को खुश रखने के लिए
बदल गया हूँ मैं।
किसी के बातो से दिल ना दुखे
इसलिए मैंने खुद को बदल लिया
दुनिया के रंग मे न रंग जाऊ इस डर से
चेहरे पे एक मुखौटा पहन लिया।
मैं जिसने कभी किसी से कोई ईर्ष्या नहीं रखी
आज अपने ही प्यार को बर्बाद करने पे तुला हु
मैने अपना चरित्र खो दिया है शायद
मैं वो पुराना सा क्यों नहीं...??
पहले तो मुझे किसी की बातों से फर्क नहीं पड़ता था
अचानक से मै बदल कैसे गया...
मैने समाज को दिखाने के लिए क्या नहीं किया
आखिर क्यों मुझे सबसे जीतना है
पहले तो ऐसा नहीं था मैं...!!
कभी कभी सोचता हूँ, ठहर जाऊ एक पल के लिए
खुद से मिलु, मैं खुद से नाराज हूं,
खुद से बाते करना हैँ,
मुझे अपने आप को समझाना हैँ की
मैं वो क्यों बनु, जो मैं कतई नहीं होना चाहता।
मैं वो बनु जिसे मेरा अंतर्मन पसंद करे
खुद से मिलु , खुद को सँवारु
मैं आईने मे खुद को देखु तो उससे प्यार करू।
मेरी तरह ही शायद कई लोग है
जो एक अलग किरदार जी रहे है
जो वो होना नहीं चाहते थे....
समय रहते अगर किरदार में लौटना पड़ेगा।
नहीं तो काफी देर हो जाएगी...!!!
धीरे-धीरे जो खो दिया था खुद को...
अब मैं स्वयं को पाऊंगा...!
जो मैं था वही रहूंगा....
मुखौटा निकाल के मुस्कुराऊंगा..!!
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Nice article
ReplyDeleteSab nakab me chipe hai
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