चाटुकारिता :एक चाटुकार के सफलता का रहस्य
Story by- jai chaurasiya
अचानक क़तर में पड़े सोलह शव में से दूसरे नंबर का शव उठ बैठा....
वह उपस्थित सभी लोग डर से भाग खड़े हुए......
बाद में हमें पूर्ण आश्चर्य के साथ हमें पता चला की यह कोई शव नहीं बल्कि वही व्यक्ति है.......
उसने तुरंत बॉस को बताया.....
श्री मान माफ़ी चाहूंगा सुबह से आपके घर नहीं आ पाया था क्यूंकि जैसे ही आपके माता जी के देहांत की खबर सुनकर सब आपके घर की ओर भाग रहे है तो ख्याल आया की पहले यहाँ का भी इंतज़ाम देख लू... देखा तो पाया की यदि आप शाम तक बॉडी लेकर आएंगे तो मुश्किल ही नंबर आ पायेगा आज तो बस आपके खातिर सुबह से ही माता जी का नंबर लगा दिया सर सुबह 8:00 बजे से ही लाश बनकर लेटा हु यहाँ.....
हम उसके प्रतिबद्धता के स्तर को देखकर दांग रह गए और बॉस कभी उसको प्यार भरी नजरो से देखते तो कभी हमें खा जाने वाली निगाहो से |
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एक चाटुकार के सफलता का रहस्य:
हमारे ऑफिस में हमारे टीम का मोहन ऑफिस के सभी कार्यो से बचता था लेकिन हमारे बॉस को मक्खन लगाने में माहिर था.....
यह बॉस के आदेश के अनुसार सभी कार्य करता था बॉस के ऑफिस कार्यो के अलावा, वह उनके सभी निजी काम जैसे बेटे के कॉलेज की फीस जमा करना बेटी का डांस कस्टूम खरीदना, उनके कर की सर्विसिंग का काम, बेटे का प्रोजेक्ट पूरा करना लगभग सब कुछ करता था इसलिए जाहिर था की वो बॉस का पसंदीदा था और उसे सभी प्रोत्साहन और इंक्रीमेंट समय से मिलते थे, दूसरी तरफ हम पछताते थे की बॉस हमसे उतना खुश नहीं है |
एक दिन अचानक हमें बॉस के माँ के निधन की खबर मिली हम सब बॉस के घर की तरफ भागे उदास चेहरा के साथ...
और हैरानी की बात यह थी की उस समय वह व्यक्ति बॉस के घर के आस पास भी नहीं दिखा, जिसके बारे में हर कोई अंदाजा लगा रहा था...... की वह अनुपश्थित कैसे.... !
हमने माल्यार्पण से सुसज्जित वाहन की व्यवश्था की और बॉस की माँ को श्मशान ले जाया गया......
लेकिन जब हम शवदाह गृह पहुंचे तो वहा पहले से ही सोलह शव बिजली से जलने के लिए क़तर में थे, प्रत्येक शव को जलने में लगभग एक घंटा का समय लग रहा था.... यानि की कुल मिलाकर सूर्यास्त से पहले दाह संस्कार संभव नहीं था | बॉस का चेहरा लाल हो रखा था एयर हम सब भी परेशान थे !
वह उपस्थित सभी लोग डर से भाग खड़े हुए......
बाद में हमें पूर्ण आश्चर्य के साथ हमें पता चला की यह कोई शव नहीं बल्कि वही व्यक्ति है.......
उसने तुरंत बॉस को बताया.....
श्री मान माफ़ी चाहूंगा सुबह से आपके घर नहीं आ पाया था क्यूंकि जैसे ही आपके माता जी के देहांत की खबर सुनकर सब आपके घर की ओर भाग रहे है तो ख्याल आया की पहले यहाँ का भी इंतज़ाम देख लू... देखा तो पाया की यदि आप शाम तक बॉडी लेकर आएंगे तो मुश्किल ही नंबर आ पायेगा आज तो बस आपके खातिर सुबह से ही माता जी का नंबर लगा दिया सर सुबह 8:00 बजे से ही लाश बनकर लेटा हु यहाँ.....
हम उसके प्रतिबद्धता के स्तर को देखकर दांग रह गए और बॉस कभी उसको प्यार भरी नजरो से देखते तो कभी हमें खा जाने वाली निगाहो से |
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