Love And Time Short Moral Story In Hindi.
Story by- jai chaurasiya
एक टापू था, जहाँ सारी भावनायें (Feelings) रहा करती थी. एक दिन सभी भावनाओं को पता चला कि वह टापू डूबने वाला है. सबने अपने बचाव के लिए नांव का निर्माण किया और वह टापू छोड़कर जाने लगे. लेकिन ‘प्रेम’ वहीं रहा.
‘प्रेम’ आखिरी संभव क्षण तक उस टापू में रुका रहा. लेकिन जब उसे लगने लगा कि अब टापू पूरी तरह से डूबने के कगार पर है और अब वहाँ रुकने का कोई औचित्य नहीं है. तो वह वहाँ से निकलने के लिए सहायता खोजने लगा.
उसी समय उसकी दृष्टि ‘समृद्धि’ पर पड़ी, जो एक बड़ी नांव में वहाँ से गुजर रही थी. प्रेम ने उसे पुकारा और पूछा, “समृद्धि! क्या तुम मुझे अपने साथ अपनी नांव में ले चलोगी?
‘समृद्धि’ ने उत्तर दिया, “नहीं प्रेम! मैं तुम्हें अपनी नांव में नहीं ले जा सकती. देखो, मेरी नांव में कितना सोना और चांदी भरा हुआ है. किसी और के लिए तो इसमें जगह ही नहीं बची है.” कहकर वह आगे बढ़ गई.
कुछ देर बाद ‘प्रेम’ को ‘दंभ’ अपनी बहुत ही सुंदर नांव में वहाँ से गुजरती हुई दिखाई पड़ी. उसने उसे रोककर अनुनय भरे शब्दों में कहा, “दंभ! कृपा करके मुझे अपने साथ ले चलो.”
उसकी बात सुन ‘दंभ’ तपाक से बोली, “अरे नहीं! तुम तो पूरे भीग चुके हो. तुम्हारे मेरी नांव में आने से मेरी सुंदर नांव ख़राब हो जायेगी.” फिर वह अपनी आँखें फेरकर आगे बढ़ गई.
‘उदासी’ भी निकट ही थी. ‘प्रेम’ ने उससे पूछा तो उसे उत्तर मिला, “ओह प्रेम! मैं बहुत उदास हूँ और इस समय अकेले रहना चाहती हूँ.”
ठीक उसी समय ‘खुशी’ भी वहाँ से गुजर रही थी, लेकिन वह इतनी खुश थी कि उसने ‘प्रेम’ की पुकार सुनी ही नहीं और आगे निकल गई.
अब ‘प्रेम’ को लगने लगा कि वह इस द्वीप के साथ ही डूब जायेगा और वह अपने अंतिम क्षण की प्रतीक्षा करने लगा. तभी एक गंभीर स्वर उसके कानों में पड़ा, ‘आओ प्रेम! मेरे साथ आओ. मैं तुम्हें ले चलता हूँ.’
यह सुनकर ‘प्रेम’ ख़ुशी-खुशी उस नांव में बैठ गया. उसने ये तक नहीं पूछा कि वे कहाँ जा रहे हैं और उसे ले जाने वाला कौन है?
सूखी धरती पर पहुँचने के बाद उस गंभीर आवाज़ ने ‘प्रेम’ को वहाँ छोड़ दिया और अपने रास्ते पर चला गया.
कुछ देर राहत की साँस लेने के बाद ‘प्रेम’ को ये अहसास हुआ कि जिसकी सहायता से उसकी जान बच पाई है, उसके बारे में उसे ये तक पता नहीं कि वह कौन है? वह ‘ज्ञान’ के पास गया और उसने पूछा कि उसे बचाने वाला कौन था.
‘ज्ञान’ ने उसे बताया कि वह ‘समय’ था.
“समय?’ भला उसने मुझे क्यों बचाया?” प्रेम ने हैरत में पूछा.
ज्ञान मुस्कुराया और बोला, ”क्योंकि समय ही प्रेम का मूल्य समझ सकता है.”
प्यार की value समय ही समझ सकता हैं हम जिंदगी की भाग दोड़ मे इतना व्यस्त हैं की प्यार की क़ीमत को समझ नही पा रहे ......किन्तु एक दीन ऐसा जरुर आयेगा जब आपके पास सब होगा और समय नही होगा ......! उम्मीद हैं की आप को हमारी कहानी पसंद आर्इ होगी! यदि हाँ तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे!
दोस्तो आपको हमारी कहानी love & time कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताये और हमारी daily update पाने के लिए हमें follow जरुर करे और स्टोरी पसंद आये तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे !
मूर्ख से दोस्ती जानलेवा है। बंदर और मछली की कहानी
बदलाव (Changes)-Short Motivational Story in Hindi
Hindi Story of A Mother and Son Very Touching Stories in Hindi
ये कहानी आपके जीने का तरीका बदल देगी! must be read...
Love And Time Short Moral Story In Hindi-
प्यार और समय : नैतिक कथा
दोस्तो हमने सुना होगा की प्यार को खरिदा नही जा सकता किन्तु मेरा मानना हैं की समय देकर प्यार को खरिदा जा सकता हैं!
कहानी पड़े ---
एक टापू था, जहाँ सारी भावनायें (Feelings) रहा करती थी. एक दिन सभी भावनाओं को पता चला कि वह टापू डूबने वाला है. सबने अपने बचाव के लिए नांव का निर्माण किया और वह टापू छोड़कर जाने लगे. लेकिन ‘प्रेम’ वहीं रहा.
‘प्रेम’ आखिरी संभव क्षण तक उस टापू में रुका रहा. लेकिन जब उसे लगने लगा कि अब टापू पूरी तरह से डूबने के कगार पर है और अब वहाँ रुकने का कोई औचित्य नहीं है. तो वह वहाँ से निकलने के लिए सहायता खोजने लगा.
उसी समय उसकी दृष्टि ‘समृद्धि’ पर पड़ी, जो एक बड़ी नांव में वहाँ से गुजर रही थी. प्रेम ने उसे पुकारा और पूछा, “समृद्धि! क्या तुम मुझे अपने साथ अपनी नांव में ले चलोगी?
‘समृद्धि’ ने उत्तर दिया, “नहीं प्रेम! मैं तुम्हें अपनी नांव में नहीं ले जा सकती. देखो, मेरी नांव में कितना सोना और चांदी भरा हुआ है. किसी और के लिए तो इसमें जगह ही नहीं बची है.” कहकर वह आगे बढ़ गई.
कुछ देर बाद ‘प्रेम’ को ‘दंभ’ अपनी बहुत ही सुंदर नांव में वहाँ से गुजरती हुई दिखाई पड़ी. उसने उसे रोककर अनुनय भरे शब्दों में कहा, “दंभ! कृपा करके मुझे अपने साथ ले चलो.”
उसकी बात सुन ‘दंभ’ तपाक से बोली, “अरे नहीं! तुम तो पूरे भीग चुके हो. तुम्हारे मेरी नांव में आने से मेरी सुंदर नांव ख़राब हो जायेगी.” फिर वह अपनी आँखें फेरकर आगे बढ़ गई.
‘उदासी’ भी निकट ही थी. ‘प्रेम’ ने उससे पूछा तो उसे उत्तर मिला, “ओह प्रेम! मैं बहुत उदास हूँ और इस समय अकेले रहना चाहती हूँ.”
ठीक उसी समय ‘खुशी’ भी वहाँ से गुजर रही थी, लेकिन वह इतनी खुश थी कि उसने ‘प्रेम’ की पुकार सुनी ही नहीं और आगे निकल गई.
अब ‘प्रेम’ को लगने लगा कि वह इस द्वीप के साथ ही डूब जायेगा और वह अपने अंतिम क्षण की प्रतीक्षा करने लगा. तभी एक गंभीर स्वर उसके कानों में पड़ा, ‘आओ प्रेम! मेरे साथ आओ. मैं तुम्हें ले चलता हूँ.’
यह सुनकर ‘प्रेम’ ख़ुशी-खुशी उस नांव में बैठ गया. उसने ये तक नहीं पूछा कि वे कहाँ जा रहे हैं और उसे ले जाने वाला कौन है?
सूखी धरती पर पहुँचने के बाद उस गंभीर आवाज़ ने ‘प्रेम’ को वहाँ छोड़ दिया और अपने रास्ते पर चला गया.
कुछ देर राहत की साँस लेने के बाद ‘प्रेम’ को ये अहसास हुआ कि जिसकी सहायता से उसकी जान बच पाई है, उसके बारे में उसे ये तक पता नहीं कि वह कौन है? वह ‘ज्ञान’ के पास गया और उसने पूछा कि उसे बचाने वाला कौन था.
‘ज्ञान’ ने उसे बताया कि वह ‘समय’ था.
“समय?’ भला उसने मुझे क्यों बचाया?” प्रेम ने हैरत में पूछा.
ज्ञान मुस्कुराया और बोला, ”क्योंकि समय ही प्रेम का मूल्य समझ सकता है.”
प्यार की value समय ही समझ सकता हैं हम जिंदगी की भाग दोड़ मे इतना व्यस्त हैं की प्यार की क़ीमत को समझ नही पा रहे ......किन्तु एक दीन ऐसा जरुर आयेगा जब आपके पास सब होगा और समय नही होगा ......! उम्मीद हैं की आप को हमारी कहानी पसंद आर्इ होगी! यदि हाँ तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे!
दोस्तो आपको हमारी कहानी love & time कैसी लगी हमें कमेंट करके जरुर बताये और हमारी daily update पाने के लिए हमें follow जरुर करे और स्टोरी पसंद आये तो ज्यादा से ज्यादा शेयर करे !
जरुर पड़े ----
यह कहानी आपकी ज़िंदगी बदल देगी!मूर्ख से दोस्ती जानलेवा है। बंदर और मछली की कहानी
बदलाव (Changes)-Short Motivational Story in Hindi
Hindi Story of A Mother and Son Very Touching Stories in Hindi
ये कहानी आपके जीने का तरीका बदल देगी! must be read...
Comments
Post a Comment
Thanks for your comment