झूठा दिखावा - A story of middle class man
Story by- jai chaurasiya
झूठा दिखावा - A story of middle class man
एक जंगल में बंदरो का एक बड़ा झुंड रहता था। जंगल में खाने पीने की कोई कमी नहीं थी, फलों से लदे पेड़ थे और नदी बहती थी। इसलिए सारे बंदर बड़े आराम से वहा रहते थे और खुशहाल जीवन यापन करते थे।
एक बार एक वैज्ञानिक अपनी बेटी के साथ उसी जंगल में शोध करने आया उसने अपना तंबू लगाया और पेड़ के पत्ते इकट्ठे करने जंगल में गया।
लेकिन लड़की तंबू की सुंदरता देखते हुए वही रुक गई। उसने पहले जमीन पर सुंदर कालीन बिछाया फिर बिस्तर, और तंबू के नीचे लालटेन लटकाया और उसके नीचे कुर्सी पर सफेद सेव से भरा कटोरा रख दिया।
वह सभी सेव देखने में ताजे, बड़े और खूबसूरत लग रहे थे। पेड़ में बैठे सभी बंदर उस कृत्रिम सेव को निहार रहे थे।
तंबू के सामने जगह साफ करने के लिए लड़की निकली, लड़की के बाहर निकलते ही बंदरो ने सेव पर झपटा मारा और एक बंदर ने एक कृत्रिम सेव उठा लिया लेकिन उसी समय लड़की की नजर उस तरफ पड़ गई लड़की ने तुरंत बंदूक से निशाना लगाया और गोली दाग दी जिससे सभी बंदरो को भागना पड़ा।
काफी देर बाद बंदर रुके और देखा की अब कोई उनका पीछा नहीं कर रहा।
तभी चोर बंदर जिसने कृत्रिम सेव चुराया था अपना हाथ ऊपर करके सब को सेव दिखाया सारे बंदर ललचाई हुई नजरो से उसे देखने लगे और छूने की कोशिस करने लगे।
चोर बंदर ने सबको फटकार करके, पेड़ के सबसे ऊंची डाली पर बैठकर सेव को खाने को कोशिश करने लगा। चूंकि कृत्रिम सेव कठोर प्लास्टिक के बने थे बंदर बार बार सेव को दांतो से दबा रहा था जिससे उसके दांतो मे दर्द होने लगा।
उस दिन उस चोर बंदर ने अपना दिन उसी पेड़ की शाख पर गुजारा और भूखा ही रहा। अगले
दिन वह पेड़ से नीचे उतरा।
सभी बंदरो ने उसे सम्मान से देखा क्योंकि उसके पास वही कृत्रिम सेव था। दूसरे बंदरो से मिलने वाले सम्मान को देखकर बंदर ने अपनी पकड़ सेव पर और मजबूत कर ली।
अब दूसरे बंदर फल की तलाश में निकले और एक पेड़ से दूसरे पेड़ पे कूदकर फल तोड़कर खाने लगे।
चोर बंदर के एक हाथ में कृत्रिम सेव था इसलिए वह पेड़ पर नही चढ़ सका। वो सब को हाथ से नही छोड़ना चाहता था इसलिए वह पूरा दिन भूखा प्यासा ही रहा, और यही सिलसिला आगे कुछ दिन तक चलता रहा।
हालांकि दूसरे बंदर उसेके हाथ में कृत्रिम सेव देखकर सम्मान देते पर खाने के लिए कुछ न देते।
चोर बंदर भूख से इतना निढाल हो गया की उसे अपना आखिरी समय दिखने लगा, उसने एक बार फिर उस सेव को खाने की कोशिश की लेकिन नतीजा वही था उसके दांत में दर्द हुआ।
चोर बंदर की आंखों के सामने पेड़ पर फल लटक रहा था पर उसकी इतनी हिम्मत नही थी की वह उस पेड़ पर चढ़ सके। धीरे धीरे बंदर की आंख हमेशा के लिए बंद हो गई। जैसे ही उसकी आंख बंद हुई सेव पर पकड़ कमजोर होने से वह लुढ़ककर जमीन में गिर गया।
शाम को बाकी बंदर मरे बंदर के पास आए और कुछ देर शोक किया और उसकी लाश को पत्ते से ढक दिया। जब वो ये कर रहे थे तभी एक बंदर को वही कृत्रिम सेव मिला और उसने भी अपना हाथ ऊंचा करके सभी बंदरो को सेव दिखाना शुरू कर दिया।
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दोस्तो वैसे आप सब इस कहानी का भावार्थ समझ गए होगे।
दुनिया की मिसाल इस प्लास्टिक के सेव की तरह है, इसे देखने वाले प्रेरित होते रहते है जबकि दुनिया को हाथ में रखने का दावेदार आखिर में खाली हाथ दुनिया से चला जाता है। और फिर कोई और आकर इस दुनिया को सम्हालने की कोशिश करता है। शायद उसका कोई नजदीकी, और कहने की जरूरत नहीं है की आगे क्या होगा।
अगर आप भी चोर बंदर की तरह कृत्रिम सेव के भरोसे रहेंगे तो असली सेव से भी से दूर हो जाएंगे और जीवन कठिन होता जायेगा और आप अपना चैन और सुकून खो देंगे। आप कृत्रिम सेव के साथ दूसरे को खुश और समृद्ध दिख सकते है, और ऐसा दिखने के लिए भी आपको कई जतन करने पड़ेंगे।
झूठा दिखावा इंसान को पहले थका देता है फिर मार देता है। और यह झूठे दिखावे के बोझ में इंसान अपने जीवन पर्यंत दुखी और दिमागी रूप अस्त - व्यस्त रहता है, वह सदैव यही सोचता रहता है की कैसे अपने प्लास्टिक के सेव को बचाए जिससे लोग उसे इज्जत दे मान सम्मान दे और इसे बचाने के चक्कर में वो अंदर से पूरी तरह थक जाता है और उसके जाने के बाद वह यही आडंबर अपने परिवार के लिए छोड़ जाता है।
अपनी जिंदगी में हर कोई थोड़ा बहुत दिखावा करता ही है दिखावा के फायदे कम और नुकसान ज्यादा है, इसलिए दिखावे से बचे एक रियल जिन्दगी जीने का प्रयास करे दिखावा करने से हम सच को समझ नही पाते है और झूठ इंसान को गलत राह पर ले जाता है, जिससे इंसान अपनी वास्तविकता को खो देता है और गलत कार्य करने लगता है, उसके द्वारा किए गए कार्य मानवता के लिए खतरा पैदा करते है, इसलिए दोस्तों दिखावे की जिंदगी से दूर होकर सच में जिंदगी को जीना चाहिए।
दोस्तो इस समाज में जो तुम्हे प्लास्टिक के उस सेव के कारण सम्मान दे रहे है वो निश्चित ही मूर्ख लोग है वो उस प्लास्टिक के सेव को सम्मान देते है जो की आज तुम्हारे कल किसी और के पास होता है। तो किसी को इस सम्मान के लिए अपना जीवन भर का सुख त्यागकर एक झूठा जीवन नही जीना चाहिए जो अंत में आपको पूरी तरह से थका देगा और जो मान सम्मान के लिए आपने ये सब किया वो तो अंत में जायेगा ही।
इसलिए दोस्तो अपना जीवन अपने हिसाब से अपनी जरूरत के हिसाब से जिया जाए इस समाज में थोड़े से सम्मान के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन बर्बाद न की इससे आप कभी खुश नहीं रहते और आपको खुश दिखना पड़ता है।
दोस्तो आखिरी में यही कहना चाहुंगा की आप कम सुविधाओ में भी खुश रह सकते है, और अपने आपको बेहतर बनाने की कोशिश में लगे रहे लेकिन केवल अपनी झूठी प्रतिष्ठा म्मान सम्मान के लिए अपनी खुशी का हवन न करे|
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