जाहिद फखरी शायरी।
मुहब्बत के सफर में कोई भी रास्ता नहीं देता। जमीं वाकिफ नहीं बनती फलक साया नही देता।। खुशी और दुख के मौसम सबके अपने - अपने होते है। किसी को अपने हिस्से का कोई लम्हा नही देता।। न जाने कौन होते है जो बाजू थाम लेते है। मुसीबत में सहारा कोई भी अपना नही देता।। उदासी जिसके दिल में हो उसी की नींद उड़ती है। किसी को अपनी आंखो से कोई सपना नही देता।। उठाना खुद ही पड़ता है थका टूटा बदन "फखरी"। की जब तक सांस चलती है कोई कंधा नही देता।। 🖋️जाहिद फखरी